Sunday 27 June 2010

लालू के कारनामे : भाग २

वैसे तो लालू का जीवन बहुत मस्त और घरवालों के लाड़-प्यार में बीत रहा है..किन्तु अक्सर उनके वहमी मन में कुछ बातें कचोटती रहती है..और उनका चित्त अस्थिर हो जाता है..पाठकों की जिज्ञासा दूर करने के लिये उचित होगा की उस राज को बता ही दूं...ताकि आप लोग लालू के कभी-कभी झींकने या उदासी के कारन के पीछे क्या वजह है उसे जान सकें.

बात यह है की लालू सोचते रहते हैं की उनके घर में सब लोग गोरे हैं और उनका रंग क्यों काला है..जिस पर पता नहीं कितनी ही बार अपनी मम्मी से पूछ चुके हैं..और उनके कितनी ही बार बताने पर भी लल्लू के मन को तसल्ली नहीं मिलती..इसी लिये वह कभी-कभी काले रंग की चीजों को..जैसे की उनमे कुत्ते-बिल्ली भी शामिल हैं, उन्हें उठा कर घर ले आते हैं.

और लालू अपने चार बहन भाइयों में सबसे छोटे हैं..तो नंबर चार पर आते हैं..मतलब यह की दो भाई और एक बहन उनसे बड़े हैं..जो उन पर अपना रुआब गांठने में लगे रहते हैं और लालू को यह सब बड़ा नागवार लगता रहता है..लेकिन क्या करें..जब लालू शरारत करते हैं और सबकी डांट खाते हैं...तो बाद में लालू को अकेले पाकर दोनों भाई और बहन मिलकर चिढ़ाते हैं की वह सब गोरे हैं..और केवल लालू ही काले हैं..इसीलिए लालू भी अपने भाई-बहन से खीझे रहते हैं और हमेशा बदला लेने की फ़िराक में लगे रहते हैं.

एक दिन लालू किसी की लावारिस भटकती हुई बिल्ली सड़क पर से उठा लाये जो काले रंग की थी और लाकर अपनी बहन रिया के बिस्तर पर रख दिया..जब वह कमरे में आई तो बिल्ली को अपने बिस्तर पर देख कर जोर से चीखी..

रिया : '' लल्लू तू अपनी हरकतों से बाज नहीं आने वाला..क्यों..? मैं अभी मम्मी को बुलाती हूँ और तेरी मरम्मत करवाती हूँ..आज तू एक कमबख्त बिल्ली को भी ले आया घर में..इसकी देखभाल कौन करेगा.''

लालू : '' बड़ी आई मरम्मत लगवाने वाली..पहले अपना चेहरा देख जाकर शीशे में. ''

रिया : '' तू जल्दी से इस बिल्ली को बाहर सड़क पर छोड़ आ..वर्ना फिर... ''

लालू : '' वर्ना क्या..क्या कर लेगी तू या मम्मी मेरा..हा हा..मैं रोने लगूँगा और कहूँगा की..रिया दीदी ने मुझे मारा था..हा हा हा हा... ''

रिया : '' नालायक कहीं का..तू अपनी हरकतों से सबको दुखी करता रहता है. ''

लालू : '' हा हा हा..तुम बक-बक करो..और मैं बिल्ली के लिये किचन से दूध लेकर आता हूँ..अगर मेरी बिल्ली को हाथ लगाया तो अच्छी बात नहीं होगी. ''

और लालू च्युंगम मुंह में चबाते हुये दूध लेने गये..इतनी देर में रिया ने मौका देखकर बिल्ली को उठाया और धीरे से दरवाज़ा खोलकर उसे भगा दिया..अच्छा हुआ की बिल्ली ने शोर नहीं किया...

किचन में जाकर बोले '' मम्मी एक कटोरे में दूध दे दो..पीना है. ''

मम्मी बोली : '' कटोरे में दूध पियेगा रे..ले गिलास में देती हूँ पीने को तुझे. ''

लल्लू : '' नहीं गिलास से जल्दी नहीं पी पाऊँगा..मुझे कटोरे में ही चाहिये. ''

मम्मी : '' चलो ठीक है..जिद्दी तो तू है ही..ले कटोरे में ही ले जा. ''

लालू दूध का कटोरा लेकर गुनगुनाते हुए वापस आये अपने कमरे में..'' बिल्ली रानी दूध पियेगी..पीकर फिर इतरायेगी..रिया दीदी डांटेंगी तो उसको आँख दिखायेगी ''...ला ल ला ल ला ला....

लेकिन कमरे में पहुँचते ही पता लगा की न तो बिल्ली थी वहाँ ना ही रिया..तो पहले तो बिस्तर, अपनी टेबल और कुर्सी के नीचे ढूँढा..फिर इधर-उधर देख आये..पर कहीं पता नहीं लगा..लालू अपने चालू दिमाग से समझ गये की जरूर यह रिया की ही हरकत है..की बिल्ली को वोह बाहर छोड़ आई होगी..मन ही मन में लालू गुस्से से कुलबुला गये और आव देखा न ताव..बहन के कमरे में गये और देखा की वह पढ़ रही थी..लालू को देख कर उसने मुँह बनाया तो लालू और छटपटा गये...और अपने मुँह से च्युंगम निकाल कर उसके बालों को खींचा और उसमे चिपका दिया कस के..रिया चीखी जोर से मम्मी को आवाज़ लगाते हुये. इतनी देर में लालू ने दूध का कटोरा अपने ऊपर पलट लिया..और रोने लगे.

रिया : '' मम्मी देखो, लल्लू ने मेरे बालों को ख़राब कर दिया है.''

मम्मी दौड़ती हुई आई.

मम्मी : '' क्यों रे रिया के बालों में ये च्युंगम क्यों लगाया रे. छुट्टी के दिनों हर समय शैतानी करता रहता है. ''

लालू : '' क्योंकि पहले इसने मेरे हाथ से दूध का कटोरा लेकर मुझपर उंडेल दिया था इसलिए मैंने च्युंगम लगा दिया इसके बालों में. ''

रिया : '' नहीं मम्मी इसने ही दूध को डाला है अपने ऊपर..मैंने कुछ भी नहीं किया था..यह एक बिल्ली लाया था और मेरे बिस्तर पर लाकर बिठा दिया था उसे..तो बस मैंने इसे डांट दिया था.''

लालू : '' मम्मी मैं कोई बिल्ली-उल्ली नहीं लाया था..ये झूंठ बोल रही है..तुम खुद देखो जाकर घर में कहीं भी बिल्ली नहीं है. ''

और फिर रोने लगे..रिया अपना सा मुँह लेकर रह गयी..क्योंकि जब मम्मी ने ढूँढा बिल्ली को तो वह कहीं भी नहीं दिखी घर में..और रिया को लालू पर दूध पलटने के लिये नाराज़ होकर बड़ा सा लेक्चर दिया.

फिर उसके बाद उनकी मम्मी ने लालू के कपड़े बदल कर पुचकार कर उन्हें चुप किया..लेकिन उन्होंने ये बिलकुल गौर नहीं किया की जब-जब लालू अपनी आँखें पूंछते थे रोने का नाटक करते हुये तो..वोह मम्मी के पास आने के पहले ही जल्दी से नाक साफ़ करने के बहाने जाकर पानी से अपनी पलकें और गाल भिगो आये थे..खैर, अब साफ़-सफाई और माँ का पक्ष और प्यार पाकर माँ के कहने पर लालू एक आज्ञाकारी बच्चे की तरह पढ़ने का बहाना कर के वहाँ से खिसक लिये..और जाते-जाते अपनी बहन को एक विकट मुस्कान छोड़ते गये.

और रिया मन में जल-भुन कर खाक हो गयी..और लालू से अगली बार बदला लेने का प्लान बनाने लगी...

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