देखा जाये तो धूम्रपान करना आमतौर से लोगों की एक आदत है. किसी न किसी कारण से वो लोग पीना शुरू कर देते हैं और फिर पता ही नहीं चलता कि कब वो स्मोकिंग के बुरी तरह से आदी हो गये. कितने ही लोग सोचते भी हैं इस आदत को छोड़ने को लेकिन उन्हें ये पता नहीं होता कि इससे निजात पाने के लिये क्या करना चाहिये.
जो लोग धूम्रपान करते हैं वो कुछ देर को जरा कल्पना करके देखें कि यदि वो स्मोकिंग करना बंद कर दें तो उसी दिन से उनके जीवन में परिवर्तन आना शुरू हो जायेंगे..उनकी बेहतरी के लिये उनकी पूरी जिंदगी ही बदल जायेगी. फेफड़ों में कैंसर का खतरा कम व बलगम बनना भी कम हो जाता है, हार्ट अटैक के चांस बहुत कम हो जाते हैं, मानसिक तनाव में कमी व साँस लेने में आसानी हो जाती है. स्मोकिंग बंद करने के 48 घंटे बाद ही आप बदलाव महसूस करने लगेंगे और आपका शरीर निकोटिन से मुक्त हो जायेगा.
इंग्लैंड में हजारों लोगों ने धूम्रपान छोड़ दिया है. लेकिन उस मंजिल तक पहुँचने के लिये सबको एक सी ही राहों से गुजरना पड़ा. स्मोकिंग से छुटकारा पाने की कोशिश करते हुये कई लोगों का संकल्प टूट जाता है और वो दोबारा स्मोकिंग करने लगते हैं लेकिन इसमें चिंता करने की बात नहीं है. क्योंकि अक्सर कुछ लोग 4-5 बार की असफलता के बाद भी प्रयास करते हुये हमेशा के लिये सिगरेट पीना छोड़ देते हैं. जिस तरह एक बच्चे के कदम लड़खड़ाते हैं पर कोशिश करते-करते संभल जाता है और फिर अच्छी तरह से चलने लगता है बस ऐसा ही स्मोकर्स के साथ भी होता है.
जरा इन बातों पर गौर कीजिये:
1. स्मोकिंग छोड़ने के बारे में सबसे पहले तो आप ये निर्णय लीजिये कि आप इसके बारे में गंभीरता से सोच रहे हैं और आपका संकल्प पक्का है. एक-एक कदम बढ़ाते हुये ही आप सफलता की पूरी सीधी चढ़ पायेंगे. और पहले से प्लान करिये कोई एक दिन जब आप उस दिन बिलकुल भी स्मोकिंग नहीं करेंगे.
2. अगर आप किसी और को भी जानते हैं जो स्मोकिंग करता है तो उसे भी आप साथ देने को कह सकते हैं एक दूसरे का सहारा पाकर इस आदत को छोड़ना और आसान हो जायेगा.
3. स्मोकिंग से विच्छेद करते हुये लोगों को अजीब-अजीब आसार (withdrawal symptoms) महसूस होते रहते हैं जिनका मुकाबला करने के लिये शुरू में निकोटिन-फ्री प्रोडक्ट का उपयोग करना चाहिये.
4. जहाँ लोग स्मोकिंग कर रहे हों तो वहाँ जाने से अपने पर कंट्रोल करिये ताकि आपको फिर कहीं तलब ना लगने लगे.
5. ये सोचिये कि जो पैसा आप सिगरेट आदि पर खर्च करते हैं उसे बचाकर अपनी किसी और अच्छी जरूरत में लगा सकते हैं.
6. और सबसे बड़ी बात ये कि अपनी इच्छा शक्ति को प्रबल रखते हुये मन को समझाइये कि अगर और तमाम लोग स्मोकिंग की आदत छोड़ने में सफल हो सकते हैं तो आप भी वैसा कर सकते हैं. ‘’बस एक सिगरेट और’’ के बारे में बिलकुल ना सोचें. अपने पास कोई सिगरेट, दियासलाई या लाइटर ही न रखें.
लेकिन खाली संकल्प-शक्ति से भी काम नहीं चलता है तमाम लोगों का. तो उस परिस्थिति में सहायता करने के लिये निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरापी (NRT ) का सहारा लें. मार्केट में निकोटिन की एवज में तमाम प्रोडक्ट हैं जिनसे लोगों को निकोटिन की तलब से छुटकारा मिलता है, जैसे कि पैच (पट्टी), चुइंगम और इन्हेलेटर्स. इन चीजों का उपयोग करने के वावजूद भी यदि ग्रुप थेरापी को भी ज्वाइन कर लें तो सफलता के चांस और भी बढ़ जाते हैं. ग्रुप में लोग आपस में अपना अनुभव बांटते हैं और धीरे-धीरे इस आदत को छोड़ने का प्रोत्साहन व हिम्मत जुटाते हैं. सिगरेट छोड़ने की शुरुआत करते हुये पहले कुछ दिन बहुत मुश्किल होते हैं फिर तलब धीरे-धीरे कम होने लगती है.
मार्केट में ये प्रोडक्ट उपलब्ध हैं:
1. निकोटिन गम (Nicotine Gum): इन्हें चबाकर मुँह के अंदर साइड में रखा जाता है और निकोटिन धीरे-धीरे जीभ के जरिये अंदर पहुँचती रहती है.
2. निकोटिन पैच (Nicotine Patch): ये पेबंद या टेप की तरह होते हैं जिन्हें शरीर पर लोग दिन में या 24 घंटे भी लगाये रह सकते हैं. बहुत लोगों का अपने अनुभव से कहना है कि उन्हें निकोटिन पैच से बहुत मदद मिली, बिना उसके प्रयोग के शायद वो स्मोकिंग ना छोड़ पाते.
3. इन्हेलेटर्स (Inhalators): ये एक प्लास्टिक सिगरेट की तरह होते हैं जिनसे निकोटिन भाप के रूप में मुँह व गले में पहुँचता है.
4. जाइबान (Zyban): इन टैबलेट्स को स्मोकिंग छोड़ने के 1-2 हफ्ते पहले से लेना शुरू करते हैं. अचानक स्मोकिंग छोड़ने पर जो आसार (withdrawal cravings) होने लगते हैं वो इससे कम होते हैं. और ये इलाज करीब दो महीने तक चलता है.
5. चैम्पिक्स (Champix): जाइबान की तरह ही इन टैबलेट्स को भी स्मोकिंग छोड़ने के 1-2 हफ्ते पहले लेना होता है और ये सिगरेट पीने पर उसकी तलब को मिटाती हैं. इसका इलाज करीब 12 हफ्ते तक चलता है.
स्मोकिंग छोड़ने के यत्न में जो अजीब-अजीब आसार (withdrawal symptomps) महसूस होते हैं वो ये हैं:
1.धूम्रपान की बहुत तीव्र इच्छा: क्योंकि दिमाग को निकोटिन की चाहत होती है. कुछ दिनों तक बुरी तरह से तलब होती रहती है फिर धीरे-धीरे कम होने लगती है.
2.मुँह में सूखापन व खांसी का आना: ये फेफड़ों में तारकोल की अचानक कमी से होता है. लेकिन ये आसार जल्दी ही गायब हो जाते हैं. गरम पेय पदार्थ सेवन करें.
3.भूख: शरीर में खाना पचाने की रस प्रक्रिया (मेटाबोलिस्म) में बदलाव आता है. स्मोकिंग बंद करने के बाद खाने का स्वाद अच्छा महसूस होने लगता है. अधिकतर फल और सब्जियाँ खायें व पानी खूब पियें. और चुइंगम चबायें.
4. कब्ज व दस्त आना: ये निकोटिन शरीर से निकलने की प्रक्रिया में होता है. क्योंकि शरीर अपनी सामान्य अवस्था में लौटने की कोशिश कर रहा है. फलों व पानी का खूब पीना जारी रखें.
5.सोने में परेशानी: ये भी शरीर से निकोटिन निकलने की प्रक्रिया से होता है. 2-3 हफ्ते लगते हैं स्थिति को सामान्य होने में. चाय व कॉफी का उपयोग कम कर दें और ताजी हवा में कुछ समय बितायें.
6.चक्कर आना: क्योंकि कार्बन मोनोकसाइड की जगह दिमाग में अब आक्सीजन पहुँच रहा है. कुछ दिनों बाद सब ठीक महसूस होने लगता है.
7. मिजाज में बदलाव, चिड़चिड़ापन और ध्यान में कमी: ये आसार भी निकोटिन की कमी हो जाने से महसूस होते हैं पर कुछ दिन में चले जाते हैं. परिवार व मित्रों को इस बदलाव के बारे में बुरा ना मानकर समझदारी से काम लेना चाहिये.
एक बार स्मोक फ्री हो जाने पर अपने में बदलाव महसूस करते हुये आप अपने अतीत को याद कीजिये तो खुद आपको बिश्वास नहीं होगा कि आपने कितना समय, ताकत और पैसा कभी अपनी स्मोकिंग की आदत पर फेंका था. साथ में हर समय स्वास्थ्य का खतरा भी मंडराता था. स्मोक फ्री होने का मतलब है: आपकी आपसे एक नयी पहचान.