Sunday 5 June 2011

गर्मी की हाय-तोबा

सुनती हूँ कि आप लोग वहाँ भारत की भभकती गर्मी में बिलबिला रहे हैं. उससे कुछ राहत / निजात पाने के लिये यही उपाय सूझ रहा है कि आप सब ठंडा जल, शरबत, लस्सी, ठंडाई व मौसम्बी के जूस को पीजिये. सलाद और फल आदि का सेवन कीजिये. और हाँ, आजकल तो आमों का सीजन है वहाँ तो तमाम किस्म के बढ़िया आम भी तो आ रहे होंगे इन दिनों. तो उन्हें व अन्य फलों को जैसे खरबूजा, तरबूज, ककड़ी, अंगूर, जामुन, और खीरा भी शौक से खाइये. और आमला, सेव व बेल का मुरब्बा भी तो ठंडक पहुंचाता है तो उसे खाकर भी तरोताजा रहिये. रात में मच्छरों से अपनी सुरक्षा के लिये मच्छरदानी लगाना ना भूलें क्योंकि पंखे की हवा में भी ये दुष्ट अपनी दुष्टता से बाज नहीं आते.


एक सीक्रेट की बात भी...वो ये कि जो लोग आफिस में काम करते हैं वो रोज मुफ्त की हवा का लुत्फ़ उठायें...गरमी में ए सी की शीतलता से सुकून मिलने के साथ-साथ आपके पैसे की भी बचत होगी. ''एक पत्थर से दो चिड़ियों का शिकार'', है न ? या फिर आप लोग घर में हैं तो बिजली के पंखे व कूलर की ठंडक में पड़े रहिये. यदि इत्तफाक या आपकी बदकिस्मती से बिजली जाती है तो हाथ से झलने वाले पंखे सलामत रखिये..वो इस इमरजेंसी में बहुत काम आते हैं.


और यदि आप गाँव में हैं तो दरवाजा खुला रखिये और घर के अंदर हवा आने दीजिये. बरामदे में चारपाई पर आराम फरमाते हुये नैचुरल हवा का आनंद लीजिये. और अगर आपके यहाँ खुशकिस्मती से कोई पेड़ है नीम, आम, आमला, अमरुद, इमलिया, पीपल या बरगद...कुछ भी..तो उसके नीचे खरखरी खटिया पर विराजमान होकर सर्र-सर्र चलती हवा में आराम करिये...विश्वास कीजिये जो सुख इस पेड़ के नीचे आपको मिलेगा सोने में वो अतुलनीय है..उसका कोई मुकाबला नहीं पंखे की हवा से. और अगर वहाँ पर कोई कुआँ भी है तब तो सोने में सुहागा ! इसके मिनरल वाटर को पीकर मजे लीजिये और बिना बिजली के बिल की चिंता किये और उसके आने-जाने के नखरों को बिना सहे हुये सुबह, दोपहर शाम जब जी चाहे वाल्टी भर पानी शरीर पर उलीच कर नहाइये. इस स्वर्गीय सुख का आनंद लीजिये. रात में आंगन में खटिया पर बस एक दरी बिछाकर सोकर देखिये. पलकों को झपकाते हुये झींगुरों की आवाज़ व किसी आते-जाते मेढक की टर्र-टर्र के संगीत को सुनते हुये स्वप्नलोक की तरफ प्रस्थान करिये. और इस तरह गर्मी के सीजन के सुखों में खोकर अपने भाग्य को सराहिये. शुभ रात्रि !


* खरखरी=खुरदुरी, उलीच=उंडेलना

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