Friday 13 January 2012

स्थानापन्न मातृत्व (Surrogacy)

जब एक औरत के मन में माँ बनने की तीव्र इच्छा उठती है और वह बदकिस्मती से पूरी न हो पाये तो समय के साथ-साथ वह अहसास एक असहनीय आंतरिक पीड़ा का रूप ले लेता है. उस तड़प को केवल वही पति-पत्नी जानते हैं जो इस राह से गुजरे हों. और इस पर आप यह भी कह सकते हैं कि वो लोग किसी और के बच्चे को गोद क्यों नहीं ले लेते...तो उस दशा में भी काफी दिक्कतें आती रही हैं. विदेशों के लोग भारत भी जाकर बच्चों को गोद लेने की कोशिश करते हैं. तो कई बार लोगों की उम्र, रहने की परिस्थितियाँ, किसी का स्वास्थ्य, या विभिन्न जाति के पति पत्नी होने से समस्यायें आ जाती हैं.


उस स्थिति में आज की दुनिया में कुछ लोग माँ-बाप बनने का सपना किसी और का गर्भाशय उधार लेकर पूरा कर रहे हैं. उन्हें सरोगेसी ही उनके सपने पूरे होने का जरिया नजर आती है. और इस मुद्दे पर लोग अपने अलग-अलग बिचार प्रकट कर रहे हैं. किन्तु जो संतान के अभाव की पीड़ा को सहन कर रहे हैं वो किसी भी हद तक जाकर आसमां से सितारे तोड़ कर लाने का ख्वाब रखते हैं और कोशिश करने पर कुछ लोगों के ऐसे सपने पूरे भी हो रहे हैं. पति के स्पर्म (बीज) से पत्नी की ओवरी (अंडाशय से) अंडा निकालकर fertilise (गर्भाधान) करके किसी और औरत के गर्भाशय में डालकर संतान पैदा होती है. और कई ऐसे भी केस हो रहे हैं जहाँ पत्नी के अंडाशय में अंडा ही नहीं पैदा होता तो उस दशा में किसी से दान लिया हुआ अंडा इस्तेमाल किया जाता है.


अमेरिका और इंग्लैंड में तो ऐसे भी किस्से हो रहे हैं जहाँ कुछ औरतें अपनी सहेली की मनोदशा व असहायता को देख नहीं पायीं और उन्होंने अपना गर्भाशय उधार देकर उनके बच्चों को जन्म दिया. इस तरह का कार्य करके उन्हें शर्मिंदगी नहीं बल्कि गर्व महसूस हुआ कि वो किसी के काम आ सकीं.


और कुछ औरते आजकल केवल अपनी आर्थिक दशा सुधारने के उद्देश्य से सरोगेट माँ बनने को तैयार हो रही हैं. और इस तरह के उदाहरण अब पश्चिमी भारत में भी बहुत पाये जा रहे हैं जहाँ गरीब घरों की औरतें रिश्तेदारों की आपत्ति के वावजूद भी अपना घरबार, पति व बच्चों से सैकड़ों मील दूर जाकर एक क्लिनिक की तरफ से इंतजाम किये हुये घरों में रहकर किसी और के बच्चे को जन्म देती हैं. क्लिनिक उन औरतों के गर्भवती हो जाने पर उनका रहने और खाने का इंतजाम उन खास घरों में करती है. वो लोग अपने पति व बच्चों से दूर अपनी ही तरह की बच्चों को जन्म देने की प्रतीक्षित औरतों के ग्रुप में रहती हैं. और वहाँ सभी मेडिकल सुविधाओं के बीच बच्चे को जन्म देती हैं. और फिर जिनका बच्चा उनकी कोख में था उनको वो सौंप दिया जाता है.


विदेशी लोग इस काम के लिये क्लिनिक को जो पैसा देते हैं उसका करीब एक तिहाई हिस्सा यानि करीब £5000 बच्चे के सुरक्षित पैदा होने पर उस औरत को मिलते हैं. और हर महीने उनके खाने, फल व दवाइयों के नाम पर आकांछित माता-पिता उस औरत के लिये करीब £28 यानि करीब 2,000 रुपये अलग से देते हैं. कई औरतें उस पैसे से अपना घर बना रही हैं और परिवार की जिंदगी सुधार कर गर्वान्वित हैं कि वो किसी के काम तो आ ही रही हैं साथ में अपने घर की आर्थिक स्थिति सुधार कर अपने बच्चों की अच्छी और ऊँची शिक्षा का भी इंतजाम करके उनका भविष्य भी बना रही हैं. यहाँ उम्र और जाति का कोई सवाल नहीं उठता दिखता है. वो कहते हैं ना कि Beggars can’t be choosers…और दोनों ही पक्षों का भला हो जाता है. किसी की संतान की चाहत पूरी हो जाती है और किसी को अपनी जिंदगी की जरूरतों के लिये पैसे मिल जाते हैं. पैसे कमाने के बिचार से कुछ औरतें तो एक बार किसी के बच्चे को जन्म देकर फिर से दोबारा इच्छुक रहती हैं दूसरे बच्चे को जन्म देने के लिये भी.


शायद आप सोचते होंगे कि जिसने बच्चे को जन्म दिया है वो शायद जन्म देकर उसे सौंपने से मुकर जाये तो उन औरतों के सोचने का नजरिया ही फर्क हो जाता है. उनका सोचना है कि ये काम किसी के भले के लिये व अपने लिये पैसा कमाने को कर रही हैं और उनकी कोख में पलने वाला बच्चा उनका नहीं बल्कि किसी और का है...केवल अपना गर्भाशय उधार दे रही हैं. वो अपने को उस बच्चे के प्रति मातृत्व की भावनाओं से दूर रखती हैं यह सोचकर कि उनकी कोख में पलता हुआ बच्चा किसी और का है उनका नहीं क्योंकि उनका परिवार तो उनके वो बच्चे हैं जो घर पर उसका इंतज़ार कर रहे हैं. सुनने में आता है कि इस तरह जन्म देने वाली औरतों की अब कमी नहीं है भारत में...तमाम औरतें गरीबी व अशिक्षा के कारण इसे ही कमाई का जरिया समझने लगी हैं और इनकी अब क्लिनिक में लाइन लग रही है. कोई इस मुद्दे पर सहमत हो या ना हो पर क्लिनिक को इस तरह की औरतों पर नाज है जो ना केवल दूसरों के संतान पाने के सपने पूरे करती हैं बल्कि ऐसा करने से अपनी गरीबी दूर करने के सपने को भी पूरा कर पाती हैं...और उन्हें खुद पर बहुत गर्व होता है.


अब एक सवाल उठता है कि इस तरह के बच्चों को बड़े होकर जब उनके जन्म की कहानी उनके माता-पिता सुनायेंगे तो उनपर क्या प्रतिक्रिया होगी. किसी में अपने माँ-बाप दोनों का अंश होगा तो किसी में एक का...पर जिसने उसे अपनी कोख से जन्म दिया है क्या उसके बारे में भी वो जानना चाहेगा या उसे देखना चाहेगा और किस तरह के भाव आयेंगे उसके मन में ?


शायद आप सब के मन में भी यही बिचार छेड़खानी कर रहे होंगे. लेकिन वर्तमान में किसी का सपना तो साकार हुआ. पर उन्हें भविष्य में कई सवाल भी लटके नजर आते होंगे.

आप सभी मित्रों के बिचारों का यहाँ स्वागत है.

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