Thursday 19 August 2010

लंदन में 15 अगस्त मनाना जख्मों पर नमक छिडकने जैसा है

भारत देश हमारा प्यारा
झंडा ऊँचा रहे हमारा...

जब से अपने भारत देश ने अंग्रेजों के चंगुल से मुक्ति पाई है उसमे एक साल और बढ़ गया है..15 अगस्त के दिन भारत के हर शहर, गाँव, गली-कूचे..देशभक्ति से ओत-प्रोत लोगों की बातों से गुंजित होंगे...गाने-फ़िल्में, डांस आदि के कल्चरल प्रोग्राम होंगे, स्पीच होगी और सड़कों पर तरह-तरह की वेश-भूषा में परेड निकलेंगीं...और लोग भीड़ में धक्का खाते हुये, या घर की छतों से उन्हें देखने का आनंद उठायेंगे...... जिन्हें दिल्ली जाकर भीड़ में शामिल होकर लालकिले पर झंडा लहराते हुये देखने का व प्राइम मिनिस्टर की दी हुई स्पीच सुनने का और परेड देखने का सौभाग्य प्राप्त नहीं होगा वह अपने घर या चौपाल में बैठे टीवी पर ही देखकर दिल्ली में हुये उत्सव का आनंद लेने की कोशिश करेंगे. स्कूलों के बच्चे लाइन में खड़े होकर ( जैसा मुझे अपना बचपन याद आता है ) '' 'जन-गण-मन' और '' वन्देमातरम '' जैसे देशभक्ति के गाने गायेंगे..आसमान में पतंगें उड़ रही होंगी..क्या सीन होगा...और हम यहाँ बैठे हुए ज़ी टीवी पर उनकी कुछ झलकियाँ देखकर अपने देश के बारे में सोचकर अपनी आँखे नम करेंगें..क्योंकि यहाँ इतनी दूर रहकर टीवी की झलकियाँ ही तिरंगे को दिखाकर दिल में तरंगें पैदाकर हलचल मचाकर अपना गुजरा हुआ जमाना याद दिला देती हैं...इन तरंगों का भी उठना बहुत जरूरी है...कितने ही देशभक्त पतंगों की तरह देश पर कुर्बान हो गये. गाँधी जी ने, साथ में और भी तमाम देश-भक्तों ने पता नहीं क्या-क्या झेला देश की आजादी को प्राप्त करने के लिये और साथ में न जाने कितने और लोगों ने भी कुर्बानियाँ दीं जिनके नाम भी नहीं पता सबको.

लेकिन इतना सब कुछ हुआ..क्यों हुआ..देश को आजाद कराने के पीछे उन महान आत्माओं के सपने थे अपने देश की सुन्दर तस्वीर के. लेकिन लोग कैसे रहेंगे आजादी के बाद...और उनके इस दुनिया से जाने के बाद और उस आजादी का भविष्य में किस तरह इस्तेमाल किया जायेगा इसका उन लोगों को कोई अनुमान नहीं रहा होगा. जो गाँधी जी के सिद्धांत थे उनपर कितना अमल हो रहा है ? अहिंसा की जगह हिंसा का प्रयोग, शांति की जगह अशांति, बेईमानी, रिश्बतबाजी, हर जगह फैला आतंक, भ्रष्टाचार, दरिद्रता, अनैतिकता, पश्चिमी सभ्यता का प्रभाव..और भी न जाने कितनी समस्यों से देश ग्रस्त हो चुका है...इनका निवारण करने की तरफ कौन से कदम उठे हैं ? गरीबी, अत्याचार, लोगों के प्रति अन्याय..किसी भी क्षेत्र में सुधार होता नजर नहीं आ रहा है...जनता टैक्स देती है लेकिन उसका सदुपयोग उनके इस्तेमाल के साधनों की तरफ नहीं बल्कि किसी और तरफ नाजायज रूप में खर्च होता है....

बिजली, सड़कें, गंदगी, पानी और महँगाई से सूखता लोगों का खून
लाचारी, मजबूरी, कानून का डर शांत कर देता है तब उनका जुनून.
इन सब बातों को लिखते हुए, जिनसे आप सब लोग मुझसे अधिक परिचित हैं, सोचती हूँ कि कुछ लोगों के दिल में ये ख्याल आ रहा होगा या जिज्ञासा हो रही होगी कि मैं आप लोगों को बताऊँ कि यहाँ यू. के. में 15 अगस्त का दिन कैसे मनाया जाता है..लेकिन आपको शायद ताज्जुब होगा कि इतने साल यहाँ रहने के वावजूद भी मैंने इस बात पर कभी गौर नहीं किया था..मैं इस तरह के समारोह के बारे में अनजान रही थी..इस बारे में कुछ विदित ही नहीं हो पाया था अब तक. एक तो अंग्रेज लोग हमारे भारतीय स्वतंत्रता-दिवस को क्यों मनाने लगे..ये तो वही बात होगी कि किसी के हाथ से सुई लेकर उसी की आँख में चुभो दो..मतलब ये कि उन पर ज़ोर दो कि तुम लोग हमारे भारतीय स्वतंत्रता-दिवस को क्यों नहीं मनाते इस देश में. अरे भाई, जो हमारा देश छोड़ने पर मजबूर हुये उनको याद दिलाकर जले में नमक छिडकने जैसा हुआ कि नहीं ये ? इस बारे में कोई जश्न यहाँ खुले आम नहीं होता. हमारे अपने आजादी-दिवस पर भारतीयों के लिये न कोई छुट्टी का दिन रखा गया है ( इनके अपने त्योहारों के दिन होते हैं जिन पर छुट्टी होती है ) न कोई झंडा लहराना, न परेड न स्कूलों में कुछ..और न ही लाइब्रेरी में हमारे स्वतंत्रता दिवस को इस देश में मनाने के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध है. लेकिन यहाँ कुछ जगहों पर जहाँ अधिक भारतीय रहते हैं वहाँ भारतीय लोग मिलकर किसी हाल वगैरा में लोकल काउंसिल की मदद से इस दिवस को मनाने का आयोजन रखते हैं..और लन्दन में भारतीय विद्या-भवन में भी इस अवसर पर समारोह मनाया जाता है जिसमे भारतीय नृत्य-गाना, सितार और तबला-वादन आदि का प्रोग्राम होता है. और भारतीय हाई कमिशनर '' रायल केनजिंगटन पैलेस गार्डेन '' नाम की बिल्डिंग के बाहर अपने देश का तिरंगा फहराता है और वहाँ के सुन्दर गार्डेन या हाल में स्पीच देता है...उसके बाद वहाँ पर कुछ कल्चरल प्रोग्राम होता है नाच-गाना इत्यादि...और खाने आदि का कार्यक्रम होता है...इस बार का प्रोग्राम है: 15 अगस्त को 10.30-3.00 तक के प्रोग्राम में 11 बजे सुबह भारतीय हाई कमिशनर नलिन सूरी अपने देश का तिरंगा ऊँचा करेंगे उसके बाद '' इंडियन जिमखाना क्लब '' में खाने का प्रबंध होगा जहाँ भारत के सभी क्षेत्रों के खाने के स्वाद के स्टाल होंगे व भारतीय कल्चरल प्रोग्राम भी होंगे जिसमे शायद भरत-नाट्यम नृत्य और संगीत आदि है.

आप सभी पाठकों को व हिन्दयुग्म से जुड़े सभी सदस्यों को इस स्वतंत्रता दिवस पर बधाई व मेरी शुभकामनायें...जय हिंद ! वन्देमातरम !

2 comments:

  1. आपको भी बधाई.. एक अच्छी पोस्ट देने के लिए आभार..

    ReplyDelete
  2. आलेख पसंद करने के लिये बहुत धन्यबाद दीपक जी..

    ReplyDelete